Sunday 15 July 2018

एक तरफा प्यार

एक दोस्त की शादी से लौटने में देर हो गयी उसवक्त रात के 12 बजे थे ठंड का मौसम था घँघोर अंधेरा चारो तरफ था मैं कदम कदम आगे बढ़ रहा था डर के मारे मेरे दिल की धड़कन ठंडी सर्द हवावों की तरह चल रहा था ,मैं मन में हलुमान चलीसा का जाप लगाता हुआ जल्दी जल्दी आगे बढ़ रहा था ,कुछ दूर ही बाधा था कि मुझे एहसास हुआ कोई मेरा पीछा कर रहा है , मैन पलट कर देखना चाहा लेकिन न जाने किसने मुझे मना किया मैं और तेज़ चलने लगा मेरी सांसे फूलने लगी तभी सामने धुंधली सी रोशनी दिखाई देती हुई महसूस हुई मेरी जान में जान आई ठंड और डर से मेरी जान निकल रही थी बस ये था कि किसी तरह ठिकाना मिल जाये ।
मैं जब रोशनी के क़रीब पहुंचा तो सामने रॉड जहाँ से घूमती है वही एक झोपड़ी नज़र आई मैने पास जाकर आवाज़ दिया ......
कोई है....? कोई है है ?...कोई है...?
अंदर से कुछ आवाज़ सुनाई न दी ...मैं जब पीछे मुड़ा ही था कि किसी के बॉस के लगे झोपड़ी के दरवाज़े के खोलने की आहट लगी मैन पलट कर देखा तो दरवाज़ा पूरा खुला था .....कौन है वहाँ...?
कोई है ? मै डरते हुए अंदर जाने लगा जब मैं अंदर गया तो कोई नज़र नही आया सामने एक टूटी हुई चारपाई पड़ी थी जिस पर गन्दे मैले बिस्तर पड़े थे ऐसा लग रहा था इस पर एक मुद्दत से कोई सोया नही है ,झोपड़ी भर झाले लगे थे लेकिन दिए में तेल भरा हुआ था और उसकी रोशनी बहोत तेज़ मालूम होती थी मैं और घबरा गया मैने हिम्मत करके दिया उठाने की ठानी मै दिये को हाथ लगाने वाला था कि आवाज़ आइ क्यो जी....किसे ढूंढ रहे हो...मैं सहम सा गया आवाज़ किसी ज़वान लड़की की मालूम पड़ती थी मैने पलट कर देखा तो लाल साड़ी पहने एक निहायत खूबसूरत और हसीन लड़की उसी टूटी चारपाई पर बैठी हाथों में अपने बालों की चोटी पकड़े चाभियों के गुच्छे कि तरह नज़ाकत से घुमा रही थी , मेरे माथे से पशीने की बूद टपक कर जब मेरे गालों पर गिरे तो मैं डर गया और झट से झोपड़ी के बाहर निकल ने के लिए मुड़ा ही था कि उसने मुझे पकड़ लिया और कुछ कहना चाहा, मैंने फौरन हाथ छुड़ाकर भागने लगा और तब तक भागता रहा जब तक करीब 10 मिनट बाद मेरे सामने एक बाइक आकर रुकी ,,,,,,
मनोज़ तुम......
इतना कहना था कि मैंने एक सास में ही सारी आपबीती कह डाली ....प्रकाश भी काफी डरा हुआ था ऐसा मालूम हो रहा है वह भी किसी आत्मा से पीछा छुड़ा रहा हो ....उसने डरते हुए कहा आओ बैठो जल्दी और सुनो ........प्रकाश तुम कहा जा रहे हो इतनी रात में .....
बोलोगे भी कुछ ...प्रकाश ने कोई जवाब न दिया तो मैंने अपने दोनों हाथों से सर्ट के कॉलर को उठा कर अपने कानों को ढककर अपना मुंह प्रकाश की पीठ में दबाकर बैठ गया जब मैंने मुंह प्रकाश की पीठ में सटाया तो उसकी धड़कने बहोत तेज़ चल रही थी ......गाड़ी अचानक रुकी मैंने जब कॉलर छोड़ा तो मेरा होश उड़ गया प्रकाश गाड़ी क्यों रोकी तुमने यहाँ........
प्रकाश दौड़कर झोपड़ी में गया..और उस लाल रंग की साड़ी वाली औरत को पकड़ कर दौड़ता हुआ आया और और मुझे बाइक पर बैठने को कहा उस लड़की ने मुझे देखा तो शर्मा कर रह गयी मैं सारा माज़रा समझ चुका था मुझे अब जितना डर लग रहा था शायद उस वक्त नही लगा होगा जब मैंने उसको चुड़ैल समझ कर हाथ छुड़ा लिया था ....खैर हम सब बस स्टैंड पर पहुंचे तो बस वहाँ से निकल रही थी प्रकाश ने बस का पीछा कर के रोका और बाइक किनारे पर खड़ा करके दोनों झट से बस में। चढ़ गए और  मैं कुछ कह पाता कि प्रकाश ने कहा मैं तुम्हारा ये ऐहसान ज़िन्दगी भर नही भूलूंगा ...एहसान मैं कुछ समझता कि उसने बाइक की चाभी हवा में उछाल कर कहाँ की बाइक जहां शादी है वही खड़ी कर देना ......
मै ठंड में पसीने से इस तरह लथपथ था जैसे कोई कटी हुई लास खून से लथपथ होती है...
मैं गया शादी में बाइक खड़ी कर ही रहा था कि अचानक एक आदमी आया और बोला अच्छा तुमने ही कामायनी को भगाया है............उठ.....उठ....दो तीन पड़ाका गालों पर तड़ातड़ पड़ा और आवाज़ आयी का बकत हउवे  है कबसे .....उठ जो  गाय के कोयर डाल के आव........7 बजत ह तनिको होस ह की नाही..........मानो दुनिया ही घूम गयी।

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