शराब को पानी लिख रहे हैं,
ऐसी एक कहानी लिख रहे हैं ।
तुम तो हो रेत जैसी मग़र,
दरिया की रवानी लिख रहे हैं।
किस्से कम नही हैं आज भी
बात लेकिन पुरानी लिख रहे हैं ।
जो हकीकत है उसको छोड़कर,
ख़बर सब मनमानी लिख रहे हैं।
Frank Hasrat
*तुम शायद सबकुछ भूल गए जब बात हमारी होती थी.........२* वो चाँद कभी होले - होले आग़ोश में यूँ आ जाता था मैं उसका चेहरा पढ़ता था मैं उसका सर सहल...
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