Wednesday 19 May 2021

एक न एक दिन शादी करके घर से दूर तो जाएगी / फ्रैंक हसरत

एक ना एक दिन शादी करके घर से दूर तो जाएगी.........२

एक लड़की जो बरसों पहले ख़्वाब सजोया करती थी,
माँ से बिछड़ने के डर से ही,छुप छुप रोया करती थी।
जाने कैसे रह पायेगी,  पापा की नज़रों से दूर,
जो बचपन से आज तलक बस उन्हें हसाया करती थी,
बेबस और लाचार बनी है,फिर ना लौट के आएगी,
एक ना एक दिन शादी करके घर से दूर तो जाएगी.......२

कल तक घर के आँगन में जो मस्त हवा सी बहती थी,
कितना सुन्दर घर है मेरा, हक़ से ये भी कहती थी।
कितना मुश्किल होगा उसको छोड़ के जाना बचपन को,
माँ की डांट पर  पापा से वो अपनी शिकायत कहती थी,
कबतक रहेगी इस बगियाँ में फूल है वो मुर्झायेगी,

एक ना एक दिन शादी करके घर से दूर तो जाएगी......२

एक नन्ही सी कली कभी थी खिलकर जब वह फूल हुई,
काटों में जो खिलना सिखा इतनी सी बस भूल हुई,
रह जाती है अंतर मन मे तड़प तड़प कर अपने ही,
ये दुनियां निर्दयी बहोत है ₹।हर वक्त उसे तड़पायेगी।

एक ना एक दीन शादी करके घर से दूर तो जाएगी.......२

 बचपन की सुनहरी यादों को वो घर मे अपने छोड़ गई,
अब सहेलियाँ घर क्यों आये सब से रिश्ता तोड़ गयी,
बूढ़े हो गए मम्मी पापा आँगन में उदासी छाई है,
गए बहोत दिन बीत गए हैं जाने कब की आई है?
अब अपना ना रहा कोई भी किसको हाल सुनायेगी?

एक न एक दिन शादी करके घर से दूर तो जाएगी......२

माँ बाप और भाई बहन की यादें उसे सताती,
मैं खुश हूँ! कहकर वो अपना कितना दर्द छिपाती है।
रो देती होगी अक्सर वो अपनी ही आंखों आंखों में,
कितनी बड़ी हो गयी है वो पलकों में अश्क छिपाती है
कबतक दर्द सहेगी बिटिया एक दिन तो बतलायेगी......

एक ना एक दिन शादी करके घर से दूर तो जाएगी.....२

फ्रैंक हसरत

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