Saturday 29 May 2021

किसी भी फूल में निकहत न होगी.. frankhasrat /29/05/2021

किसी भी फूल में निकहत  न  होगी 
मिरे  रब  की अगर रहमत   न होगी 

तुझे कुछ इश्क़ में  हासिल  न होगा 
कि दिल  में जब तिरे ज़ुर्रत  न होगी 

बुझेगी  आग  नफ़रत  की नहीं  गर 
तो  ये दुनिया कभी जन्नत  न  होगी 

जहाँ  लाशों पे इतनी सिसकियाँ हो 
वहाँ  इंसान   की   क़ीमत  न होगी 

है  मेरे  घर  का  अब  माहौल  ऐसा 
बुरी  आदत   बुरी  आदत  न  होगी 

ये मज़हब की लड़ाई  छोड़  दो  तुम
हमारे  मुल्क़  में   दहशत   न  होगी

कटे   हर   रात   सजदे  में  तुम्हारी
कि इसके बाद कुछ 'हसरत' न होगी

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