लगती नही कभी जब बाज़ार इश्क में ,
फिर क्या वजूद तेरा खरीदार इश्क में।
नज़रों से इश्क की शुरुआत कर बैठे हो जब,
करने में डर रहे हो क्यों इजहार इश्क में।
पहली दफा हुआ था तो सोचा कि अब न हो,
इतने हुए थे हम तो लाचार इश्क़ में ।
कहते हैं लोग मंजिलें मिलती नही कभी,
लाजमी है बेवफ़ाई मेरे यार इश्क में ।
इश्क मतकर इश्क मतकर कहते रहे #हसरत,
खुद भी मग़र वो हो गये बीमार इश्क में ।
हसरत नौदरी
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