Wednesday 24 January 2018

Har baar mai haar nhi sakta

हर बार मैं ही हार नही सकता...

चलते चलते मन्ज़िल तो मिलेगी ही,
कली है आज वो कल तो खिलेगी ही,
चन्द सांसो का सहारा है कि ज़िंदा हैं हम,
दर्द की शाम है एक दिन तो ढ़लेगी ही,
एक जैसा ही सदा ये बाज़ार नही रहता,

हर बार मैं ही हार नही सकता...

वक़्त जीतेगा तो हार हमारी होगी
हा कभी वक्त की तो लाचारी होगी
कौन ख़ुश है यहाँ उसको बुला लाओ
इश्क में हो नतो कुछ और बीमारी होगी,
वो मग़र खुद भी इनकार नही कर सकता ।

हर बार मैं ही हार नही सकता...

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