क्या हो तुम,कौन हो तुम.....?
न देखूं तुझको तो करार क्यों कर हो,
ये दिल भी मग़र बेक़रार क्यों कर हो,
तुम अगर हो कुछ, तो क्यों चले जाते हो?
गर कुछ भी नही हो, तो इंतेज़ार क्यों कर हो,
क्या हो तुम, कौन हो तुम....?
होते अपने तो ख़याल तो होता ,
आने जाने का मलाल तो होता ,
कुछ कहाँ नही, न ज़वाब दिया,
शिकायतों का एक सवाल तो होता ।
क्या हो तुम, कौन हो तुम....?
रात गये ख़्वाब में क्यों आते हो,
हर सवाल, हर ज़वाब में क्यों आते हो,
मान लूँ अपना समझते हो तुम,
सामने फिर मेरे नक़ाब में क्यों आते हो ,
क्या हो तुम, कौन हो तुम....?
अब तुम्हे अपना कहूँ या गैर कहूँ?
क्या कहूँ कुछ भी कहूँ खैर कहूँ ?
सोचता हूँ मैं तुम्हे कुछ न कहूँ लेकिन,
दिल ये कहता है तुझे मैं भी कोई दैर कहूँ,
क्या हो तुम, कौन हो तुम....?
दिल का दर्द भी अब नही सुनता कोई,
दिल भी किस्सा ये मोहब्बत नही बुनता कोई,
तू बता कर के चला जाता तो मुमकिन भी था,
दिल मेरा भी तो सनम प्यार से चुनता कोई।
क्या हो तुम, कौन हो तुम....?
☺फ्रैंक हसरत नौदरी💐
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