#frankhasrat
Wednesday 19 May 2021
एक धुँधली सी याद.....फ्रैंक हसरत ( यादें)
न जाने क्यों सायबर लाइब्रेरी में आज भी कुर्सियों की तलबिचल, पंखों की सरसराहट और माउस और किब्रोर्ड के खटपट के साथ आते जाते लोगों की कदमचहली में आज भी कानों को आपके कदमों की धनक और दिलो दिमाग़ पर आपके आने का गुमान होता है.....नज़रों को आपके न होने का यकीन ही नहीं होता हर आते जाते कदमों को बहोत देर तक देखती है और आपके होने का एहसास दिल ओ दिमाग़ को दिलाने की कोशिश में में हज़ारों बार नाकाम हो चुकी है मगर उसके हौसलों और जज़्बों में हमेशा बढ़ोतरी होती रही है...........अभी भी ऐसा लगता है कि बस आप आएंगे और कहेंगे चलिए........चलिए बाहर से आते हैं कितना पढ़ेंगे......चाय पीकर❤️ इसी ख्याल में डूबा हुआ ये जिस्म ओ जा कभी कभी बेमतलब उठ खड़ा होता है फिर आपका न होना इसे अंदर तक झिंझोड़ कर रख देता है और कई मिनटों तक अपनी नाकामी और और आपके ख़यालों के बीच लड़ता रहता है...........फिर सामने रखी किताबों में अपने नाकामियों का सबब ढूंढने में लग जाता है..............आज फिर याद आ गए हो तुम........
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
तुम शायद सबकुछ भूल गये..........
*तुम शायद सबकुछ भूल गए जब बात हमारी होती थी.........२* वो चाँद कभी होले - होले आग़ोश में यूँ आ जाता था मैं उसका चेहरा पढ़ता था मैं उसका सर सहल...
-
*तुम शायद सबकुछ भूल गए जब बात हमारी होती थी.........२* वो चाँद कभी होले - होले आग़ोश में यूँ आ जाता था मैं उसका चेहरा पढ़ता था मैं उसका सर सहल...
-
VT पर ठीक 5 बजे मैं मिलूँगी......अंकित ने हँसी को छिपाने के लिए इधर उधर देखने लगा...मैंने जो कहा सुना तुमने...??? हल्की सी हँसी के साथ अंकि...
No comments:
Post a Comment