शायद अबतक वो वही बात लिए बैठा है,
चाय की केतली भी साथ लिये बैठा है।
हो गया है शहंशाहे हिन्दोस्तान मग़र,
दिल मे अबतक वही गुजरात लिए बैठा है।
हसरत नौदरी
*तुम शायद सबकुछ भूल गए जब बात हमारी होती थी.........२* वो चाँद कभी होले - होले आग़ोश में यूँ आ जाता था मैं उसका चेहरा पढ़ता था मैं उसका सर सहल...
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