Wednesday 24 January 2018

ग़ज़ल

शायद अबतक वो वही बात लिए बैठा है,
चाय की केतली भी साथ लिये बैठा है।

हो गया है शहंशाहे हिन्दोस्तान मग़र,
दिल मे अबतक वही गुजरात लिए    बैठा है।

हसरत नौदरी

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