Saturday 21 July 2018

Ghazal

शराब को  पानी  लिख रहे हैं,
ऐसी एक कहानी लिख रहे हैं ।

तुम  तो   हो  रेत  जैसी  मग़र,
दरिया की रवानी लिख रहे हैं।
   
किस्से  कम  नही हैं  आज  भी
बात लेकिन पुरानी लिख रहे हैं ।

जो हकीकत है उसको  छोड़कर,
ख़बर सब मनमानी लिख रहे हैं।

Frank Hasrat

Friday 20 July 2018

एक शब्द

एक शब्द..!

हा वही शब्द जो हम तुमसे खफ़ा होकर ,
सुनना चाहते हैं,
जो हम ख़्वाब में
तेरे आने से लेकर तेरे जाने तक
के दरमियान सुनना चाहते हैं।
वो एक शब्द जो हमरी ,
बेरुखी को मोब्बत की बागों
में ले जाकर सावन के झूले
झूलाती है बस वही शब्द
बस वही शब्द में फिर
तेरे खुश्क होटों पर लाना चाहता हूं।
अश्क के समंदर में लहरों के मानिंद तेरे ,
वो चन्द शब्द मेरे दिल पर चोट करते हैं
बस उसी ज़ख्म का मरहम चाहता हूं।
बस वही शब्द तेरे ज़ुबान से सुनना चाहता हूं।

#फ्रैंक हसरत

Sunday 15 July 2018

लाखों की अब हर खबर हो रही है .....

इधर की बातें जब उधर हो रही है ,
मोहब्बत की बातें किधर हो रही है ।

तड़पता हुआ दिल सदा दे रहा है ,
इस तरह जिंदगी बसर हो रही है।

जिसे देखिए वो मचल जा रहा है ,
तुम्हारी नज़र अब जिधर हो रही है ।

बिकते यहाँ  कौड़ियों  में हैं इंसान,
लाखों की क्यों हर खबर हो रही है ।

किया था कभी जिसने तारीफ #हसरत
वो बातें मुसलसल ज़हर हो रही है ।

वो अपने धुन में रहती थी....😊

भोली भाली थी मतवाली
अपने धुन में रहती थी,
बात बात में बात करे वो
क्या सुनती क्या कहती थी।
वो अपने धुन में रहती थी......

जब आती तो डरी सी रहती
जाती तो मुस्काती वो।
देर से आकर जल्दी जाना बहाने
खूब बनाती वो .....
अच्छी थी सब बातें उनकी
झूठ भले ही कहती थी।
वो अपने धुन में रहती थी........😊

आँखे उसकी हिरन जैसी
बाल थे रेशम के धागे
कभी वो आकर खुद लिपट गयी,
कभी बुलाये तो भागे ।
ऐसे में बहोत रुलाती थी।
वो अपने धुन में रहती थी ।

#frank

बच्चे भी खा रहे हैं दवा इश्क की जनाब

हर सिम्त चल रहा है हवा इश्क की जनाब,
बच्चे भी खा रहे हैं दवा इश्क की जनाब।

ताकत का इम्तेहान

ग़रीब मैं हूँ वफ़ा में उसके
असर नही है दवा में उसके,

चराग बुझने न पाये  #हसरत
हो जितनी ताकत हवा में उसके ।

एक तरफा प्यार

एक दोस्त की शादी से लौटने में देर हो गयी उसवक्त रात के 12 बजे थे ठंड का मौसम था घँघोर अंधेरा चारो तरफ था मैं कदम कदम आगे बढ़ रहा था डर के मारे मेरे दिल की धड़कन ठंडी सर्द हवावों की तरह चल रहा था ,मैं मन में हलुमान चलीसा का जाप लगाता हुआ जल्दी जल्दी आगे बढ़ रहा था ,कुछ दूर ही बाधा था कि मुझे एहसास हुआ कोई मेरा पीछा कर रहा है , मैन पलट कर देखना चाहा लेकिन न जाने किसने मुझे मना किया मैं और तेज़ चलने लगा मेरी सांसे फूलने लगी तभी सामने धुंधली सी रोशनी दिखाई देती हुई महसूस हुई मेरी जान में जान आई ठंड और डर से मेरी जान निकल रही थी बस ये था कि किसी तरह ठिकाना मिल जाये ।
मैं जब रोशनी के क़रीब पहुंचा तो सामने रॉड जहाँ से घूमती है वही एक झोपड़ी नज़र आई मैने पास जाकर आवाज़ दिया ......
कोई है....? कोई है है ?...कोई है...?
अंदर से कुछ आवाज़ सुनाई न दी ...मैं जब पीछे मुड़ा ही था कि किसी के बॉस के लगे झोपड़ी के दरवाज़े के खोलने की आहट लगी मैन पलट कर देखा तो दरवाज़ा पूरा खुला था .....कौन है वहाँ...?
कोई है ? मै डरते हुए अंदर जाने लगा जब मैं अंदर गया तो कोई नज़र नही आया सामने एक टूटी हुई चारपाई पड़ी थी जिस पर गन्दे मैले बिस्तर पड़े थे ऐसा लग रहा था इस पर एक मुद्दत से कोई सोया नही है ,झोपड़ी भर झाले लगे थे लेकिन दिए में तेल भरा हुआ था और उसकी रोशनी बहोत तेज़ मालूम होती थी मैं और घबरा गया मैने हिम्मत करके दिया उठाने की ठानी मै दिये को हाथ लगाने वाला था कि आवाज़ आइ क्यो जी....किसे ढूंढ रहे हो...मैं सहम सा गया आवाज़ किसी ज़वान लड़की की मालूम पड़ती थी मैने पलट कर देखा तो लाल साड़ी पहने एक निहायत खूबसूरत और हसीन लड़की उसी टूटी चारपाई पर बैठी हाथों में अपने बालों की चोटी पकड़े चाभियों के गुच्छे कि तरह नज़ाकत से घुमा रही थी , मेरे माथे से पशीने की बूद टपक कर जब मेरे गालों पर गिरे तो मैं डर गया और झट से झोपड़ी के बाहर निकल ने के लिए मुड़ा ही था कि उसने मुझे पकड़ लिया और कुछ कहना चाहा, मैंने फौरन हाथ छुड़ाकर भागने लगा और तब तक भागता रहा जब तक करीब 10 मिनट बाद मेरे सामने एक बाइक आकर रुकी ,,,,,,
मनोज़ तुम......
इतना कहना था कि मैंने एक सास में ही सारी आपबीती कह डाली ....प्रकाश भी काफी डरा हुआ था ऐसा मालूम हो रहा है वह भी किसी आत्मा से पीछा छुड़ा रहा हो ....उसने डरते हुए कहा आओ बैठो जल्दी और सुनो ........प्रकाश तुम कहा जा रहे हो इतनी रात में .....
बोलोगे भी कुछ ...प्रकाश ने कोई जवाब न दिया तो मैंने अपने दोनों हाथों से सर्ट के कॉलर को उठा कर अपने कानों को ढककर अपना मुंह प्रकाश की पीठ में दबाकर बैठ गया जब मैंने मुंह प्रकाश की पीठ में सटाया तो उसकी धड़कने बहोत तेज़ चल रही थी ......गाड़ी अचानक रुकी मैंने जब कॉलर छोड़ा तो मेरा होश उड़ गया प्रकाश गाड़ी क्यों रोकी तुमने यहाँ........
प्रकाश दौड़कर झोपड़ी में गया..और उस लाल रंग की साड़ी वाली औरत को पकड़ कर दौड़ता हुआ आया और और मुझे बाइक पर बैठने को कहा उस लड़की ने मुझे देखा तो शर्मा कर रह गयी मैं सारा माज़रा समझ चुका था मुझे अब जितना डर लग रहा था शायद उस वक्त नही लगा होगा जब मैंने उसको चुड़ैल समझ कर हाथ छुड़ा लिया था ....खैर हम सब बस स्टैंड पर पहुंचे तो बस वहाँ से निकल रही थी प्रकाश ने बस का पीछा कर के रोका और बाइक किनारे पर खड़ा करके दोनों झट से बस में। चढ़ गए और  मैं कुछ कह पाता कि प्रकाश ने कहा मैं तुम्हारा ये ऐहसान ज़िन्दगी भर नही भूलूंगा ...एहसान मैं कुछ समझता कि उसने बाइक की चाभी हवा में उछाल कर कहाँ की बाइक जहां शादी है वही खड़ी कर देना ......
मै ठंड में पसीने से इस तरह लथपथ था जैसे कोई कटी हुई लास खून से लथपथ होती है...
मैं गया शादी में बाइक खड़ी कर ही रहा था कि अचानक एक आदमी आया और बोला अच्छा तुमने ही कामायनी को भगाया है............उठ.....उठ....दो तीन पड़ाका गालों पर तड़ातड़ पड़ा और आवाज़ आयी का बकत हउवे  है कबसे .....उठ जो  गाय के कोयर डाल के आव........7 बजत ह तनिको होस ह की नाही..........मानो दुनिया ही घूम गयी।

तुम शायद सबकुछ भूल गये..........

*तुम शायद सबकुछ भूल गए जब बात हमारी होती थी.........२* वो चाँद कभी होले - होले आग़ोश में यूँ आ जाता था मैं उसका चेहरा पढ़ता था मैं उसका सर सहल...